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कैसे कोई कलाम लिखू मे काजू तेरे लिए 


तुझे सोचते ही, अल्फ़ाज़ भूल जाता हू

About Us

स्वागत है, आप सभी का मेरी इस काल्पनिक दुनिया मे |

यह वो जगह है जहा मेरी कलम बिना किसी रोक-टोक के मेरे  ख्यालो के घोड़ो के साथ-साथ दोडती है | यहा जो मैं सोचता हू, जो मैं महसूस करता हू, और जो कुछ भी मैने अपनी ज़िंदगी से सिखा है, यहा कलमबध करता हू |

एक बार जावेद अख़्तर साहब ने कहा था "एक आदमी के विचार ही उसकी पहचान है"  तो दूसरे शब्दो मे कहे तो ये मैं ही हू |

अगर आप यहा कुछ भी पढ़ रहे तो आप मुझे पढ़ रहे है, मुझे समझ रहे है |
 
सच कहा जाए तो ये वेबसाइट सिर्फ़ एक शख़्श की नज़र है | मेरे से लिखा हुआ हर एक शेर, शायरी, ग़ज़ल, नज़्म उसकी नज़र है | ये कहना भी ग़लत नही होगा की मेरी कलम से लिखा हुआ हर एक शब्द उसकी नज़र है | क्यूकी अगर ये क़लम आज मेरे हाथ मे तो उसका सबब सिर्फ़ वही है | वही है जिसने एक शख़्श को आज मुंतज़िर मारवाड़ी बना दिया |

 

उन मोहतरमा का नाम है "काजू" (प्यार से) असल नाम तो इसे भी ज्यादा खूबसूरत है | 

 

एक और शख़्श भी है  जिसका इस जुर्म मे हाथ है...वो है मेरा मित्र , मेरा गुरु प्रशांत वर्मा, कलम तो काजू के कारण हाथ मे ले ली पर उसे चलाना इसने सिखाया.


इस वेबसाइट की बस एक ही ख़ासियत है....यहा पर भावनाओ के अलावा कुछ भी सत्य नही है

मेरी हमेशा कोशिश यही रहेगी की किसी भी रूप से आपका वक़्त बर्बाद ना करू | आप जब भी यहा आए, कुछ अछा ही पढ़ के जाए....अगर आपको अच्छा लगे तो अपने मित्रो के साथ भी इसे साझा करे |

अपनी प्रतिक्रिया हमे ज़रूर भेजे |

 


                                                                                                                                 

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